शिव प्रकाश का जन्म 1 अगस्त 1967 में उत्तर प्रदेश स्थित मुरादाबाद जिले के छोटे से गाँव वीरू बाला में हुआ. कृषक परिवार में जन्मे शिवप्रकाश के बचपन पर उनके अविवाहित व् संत चाचा के जीवन की गहरी छाप पड़ी. शुरुआती शिक्षा दीक्षा स्थानीय प्रारंभिक एवं माध्यमिक विद्यालयों से पूरी करने के बाद, उन्होंने रूहेलखंड विश्वविद्यालय से स्नातक (BA) एवं परास्नातक (MA) की पढ़ाई पूरी की. पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु, उच्च शिक्षा के साथ ही 1985 में शिव प्रकाश ने विद्या भारती के गांव करनपुर स्थित विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यापन (आचार्य ) का कार्य करना शुरू कर दिया, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध इस विद्यालय में अध्यापन के दौरान ही ये संघ प्रचारकों के संपर्क में आये. यही वह समय था जब शिवप्रकाश के बचपन के संस्कारों एवं प्रेरणाओं ने अपना आकार लेना शुरू कर दिया और धीरे धीरे वे संघ से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने आजीवन मातृभूमि की सेवा करने हेतु संघ को ही प्राथमिकता से चुना।
शिव प्रकाश के सामाजिक एवं सार्वजनिक जीवन का प्रारंभ 1986 में हसनपुर , गजरौला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तहसील प्रचारक के तौर पर हुआ. जिसके बाद वे अमरोहा, मेरठ, बडौत, अल्मोड़ा आदि स्थानों पर संघ के जिला प्रचारक, विभाग प्रचारक, प्रान्त प्रचारक के दायित्व पर काम करते रहे. ओजस्वी वक्ता, व्यवहार कुशलता एवं अनुशासित जीवन के बल इस जिम्मेदारी को शिव प्रकाश से बखूबी निभाया भी. 2008 में संगठन ने उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक के तौर पर जिम्मेदारी सौंपी. 2014 में भाजपा में स्थानांतरण तक वे इसी जिम्मेदारी पर रह कर संघ के संगठन को जड़ एवं शाखाओं तक मजबूत करते रहे।
2014 में शिव प्रकाश भारतीय जनता पार्टी में सह संगठन महामंत्री जिम्मेदारी मिली, और नियुक्ति के साथ ही इधर हरियाणा विधानसभा चुनावों की घोषणा हो गयी, समय कम था लेकिन शिव प्रकाश से बिना देर किये हरियाणा में ताबड़तोड़ दौरे करना शुरू किये, नए कार्यकर्त्ता खड़े करने और पुराने कार्यकर्ताओं को समर्पण के चरम तक ले जाने में माहिर शिवप्रकाश के दौरों का ही परिणाम था कि कार्यकर्ताओं में उत्साह की लहर दौड़ गयी. इन चुनावों में हरियाणा में प्रथम बार मतदान प्रतिशत को 76.54% के अपने उच्चतम स्तर पर दर्ज किया गया. और भाजपा 2009 में 4 सीटों से उठकर इस बार 47 सीटों पर कब्ज़ा ज़माने में सफल हुयी।
नई व्यवस्था में शिव प्रकाश को उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की जिम्मेदारी सौंपी गयी, हालांकि चुनाव अभी दूर 2.5 वर्ष दूर था, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं थी, ये सच है कि लोकसभा चुनाव 2014 में उत्तर प्रदेश ने नरेन्द्र मोदी के हाथ मजबूत करने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी लेकिन विधानसभा स्तर लगभग डेढ़ दशक से सत्ता से दूर भाजपा यहाँ संगठन में नाराजगी, नेताओं – कार्यकर्ताओं के बीच दूरी और टूटे मनोबल से जूझ रही थी. उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के लिए परिचित शिव प्रकाश ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कमान संभाल ली, एक-एक कर हर मोर्चे पर पार्टी ने बढ़त बनाना शुरू की. और उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के परिणामों ने बड़े बड़े विश्लेषकों, पत्रकारों और रणनीतिकारों को अचंभित करके रख दिया, उत्तरप्रदेश में भाजपा ने 47 से बढकर 311 सीटों पर जीत दर्ज की. साथ ही उत्तराखंड में 31 से बढ़कर 57 सीटों पर विजय प्राप्त की. दोनों ही राज्यों में भाजपा महान बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल हुयी।
ये साल २०१७ था, लोकसभा चुनाव 2019 अब दिखने लगा था, अब शिव प्रकाश की जिम्मेदारियों में प.बंगाल को और जोड़ दिया गया. जहाँ ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस हावी थी, राजनीतिक हिंसा और वामपंथ के गढ़ रहे प. बंगाल की डगर और मुश्किल थी, शिव प्रकाश अब तक बंगाल में डेरा डाल चुके थे, यहाँ लगभग शून्य संगठन के साथ भाजपा को बूथ स्तर पर मजबूत करने को प्राथमिकता दी गयी. शिव प्रकाश द्वारा संघ की नर्सरी में सीखे ‘ अपरिचित से परिचित और परिचित से कार्यकर्ता बनाने ’ के पाठ को यहाँ बखूबी प्रयोग किया गया, लोकसभा चुनाव 2014 में 2 सीटों के साथ अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही भाजपा 2019 में 18 लोकसभा सीटों विजयी हुयी. इधर इस जीत ने एक बार फिर विश्लेषकों को हतप्रभ करके रख दिया और उधर शिवप्रकाश नई योजनाओं एवं नीतियों को रूप देने में जुट गए. हाल ही में हुए प. बंगाल विधान सभा चुनाव में भाजपा को हालांकि अपेक्षित जीत नही मिली लेकिन 3 सीटों से बढकर 77 विधानसभा सीटों पर कब्ज़ा जमा चुकी भाजपा, शिव प्रकाश के संगठन कौशल की ही कहानी कह रही है।
राजनीति के अलावा सामाजिक क्षेत्रों में भी गहरी रूचि रखने वाले शिवप्रकाश की सामाजिक सेवाओं को देखते हुए नवंबर 2020 में उनको, बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी प्रदान की गई है।